संवाददाता: सिद्धार्थ कुंवर, नमस्कार भारत

Bihar Gov: बिहार में शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर सरकार लाख दावे कर रही है, लेकिन आए दिन सरकारी स्कूलों से जुड़ी समस्याएं सुर्खियां बन रही हैं। ताज़ा मामला बिहार के भागलपुर ज़िले का है, जहां कलम चलाने वाले हाथ पतवार उठाने को मजबूर हैं। सरकारी स्कूलों में छात्रों को तालीम देने वाले शिक्षको को नाव का खेवनहार बनना पड़ रहा है। भागलपुर जिले में दो स्कूल ऐसे हैं, जहां शिक्षकों और छात्रों को नदी पार कर स्कूल पहुंचना पड़ता है। नाव के सहारे नदी पार करते हुए स्कूल तक का सफर तय करना पड़ता है।

Bihar Gov: नाविक बने शिक्षक भगवान को याद करते हुए नाव खेवते हुए छात्रों के साथ स्कूल पहुंचते हैं। स्कूल और शिक्षा के दावों की पोल खोलती तस्वीर घोघा की है। शिक्षकों ने बताया कि नाव को नाविक नहीं चलाते हैं, शिक्षक ही जान हथेली पर लेकर छात्रों और अन्य शिक्षकों को लेकर स्कूल पहुंचते हैं। शिक्षकों ने बताया कि बड़ी नाव है, जिसे खुद चलाकर नदी पार करना होता है। एक नाविक भी इस नाव को सही से नहीं खे पाता है। इसलिए नाविक की मदद करने के लिए शिक्षकों को भी पतवार चलाना पड़ता है। जिला के विभिन्न क्षेत्रों से शिक्षकों की टीम गोल सड़क ईंट भट्ठा (घोघा) किनारे जमा होती है। घोघा से सभी लोग नाव पर सवार होकर करीब 1 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद स्कूल पहुंचते हैं। ना कोई लाइफ जैकेट और ना ही सुरक्षा के इंतज़ाम, बस भगवान का नाम लेकर नाव खेवते है। बस यही प्रार्थना करते हैं कि सही सलामत स्कूल पहुंच जाएं, किसी प्रकार की अनहोनी नहीं हो।

शिक्षकों ने कहा कि मौसम खराब होने पर बारिश और तेज़ हवा बहने से यह डर बना रहता है कि कहीं नाव ना पलट जाए। सरकार को चाहिए कि नदी पर पुल का निर्माण करवा दिया जाए। ताकि गंगा पार स्थित उच्च माध्यमिक विद्यालय और मध्य विद्यालय अठगामा के शिक्षक और छात्रों की परेशानी दूर हो सके। ऑनलाइन हाजिरी बनाने की वजह से शिक्षकों को हाज़िरी दर्ज करने के लिए वक्त से पहले निकलना पड़ता है। कई सालों से यहां पुल की ज़रूरत है, घोघा NH से अठगामा, पन्नू चक दियारा और शंकरपुर दियारा जाने वाले लोगों को पुल बन जाने से काफी आसानी होगी।

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