संवाददाता: राहुल चौधरी, नमस्कार भारत
मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) टेक्नोलॉजी से लैस अग्नि-V बैलिस्टिक मिसाइल का भारत ने कामयाबी के साथ परीक्षण कर लिया है और इसके साथ ही, भारत ने अपनी परमाणु मिसाइल क्षमता में अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल कर ली है।
आप बता दे कि अग्नि-5 मिसाइल की कामयाबी ने पाकिस्तान के साथ–साथ चीन को भी बुरी तरह से हिला कर रख दिया और यही वजह है, दो चीनी जासूसी जहाज बंगाल की खाड़ी में भारत की इस ताकत की जासूसी करने पहुंचे थे। अग्नि-5 मिसाइल, भारत के रणनीतिक दायरे को अब इस हद तक बढ़ा चुका है, कि इसे रोकने के लिए चीन के पास कोई टेक्नोलॉजी नहीं है।
भारत की शक्ति में अभूतपूर्व इजाफा
भारत के अग्नि-V मिसाइल में इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) रेंज है, जिसका मतलब 5 हजार किलोमीटर से ज्यादा क्षमता तक मार करना होता है। यानि, भारत की क्षमता में हुआ ये ऐतिहासिक इजाफा, हमारी रणनीतिक परिदृश्य को महत्वपूर्ण रूप से बदल देती है।
आप के जानकारी के लिए बता दे कि भारत का मिसाइल शस्त्रागार मुख्य रूप से अपने निकटतम पड़ोसियों से खतरों को रोकने पर केंद्रित है। लेकिन, अग्नि-V की जो रेंज है, उसकी सीमा पड़ोसी दुश्मनों की सीमा से भी काफी ज्यादा दूर तक मार करने की है, यानि अग्नि-5 से भारत को एक विशाल दूरी तक मार करने की क्षमता हासिल हो गई है।
आप इस तरह आसानी से समझ लेंगे मान लीजिए तीसरा विश्वयुद्ध शुरू हो जाता है और दुनिया के किसी और कोने से कोई और दुश्मन, भारत पर हमला करना चाह रहा हो, या चीन ही दुनिया के किसी और कोने में बनाए गये अपने सैन्य अड्डे से भारत पर हमला करने वाला हो, तो अब भारत के पास वो विनाशक हथियार आ गया है, जिसे वो आसानी से नेस्तनाबूत कर सकता है। यानि, भारत को अपने पड़ोसियों के खिलाफ मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल हो गई है।
चीन के पास किस तरह के मिसाइल हैं?
बता दे की हमारे भारत देश के दो ही दुश्मन हैं, एक चीन और दूसरा तो पाकिस्तान। पाकिस्तान अभी इस टेक्नोलॉजी को हासिल करने से कोसों दूर है, लेकिन चीन के पास एक मजबूत और लगातार बढ़ता हुआ मिसाइलों का भंडार है।
चीन का डोंगफेंग-41 (डीएफ-41) ICBM, जिसकी अनुमानित सीमा 12,000 किलोमीटर से ज्यादा है, उसकी क्षमता अग्नि-5 के मुकाबले ज्यादा है। लेकिन, अग्नि-V के सफल परीक्षण से साबित होता है, कि भारत अपने दुश्मन के साथ रणनीतिक अंतर को काफी तेजी से कम कर रहा है। इसके अलावा, भारत का स्वदेशी मिसाइल डेवलपमेंट कार्यक्रम को लेकर दर्शाता है, कि ये कितनी तेजी से आगे बढ़ रही है। अग्नि-5 के सफल परीक्षण से पता चलता है, कि भारत अब कभी भी हजारों किलोमीटर तक मार करने वाली क्षमता वाले मिसाइलों का निर्माण कर सकता है।

MIRV न्यूक्लियर क्लब में शामिल होगा भारत?
अग्नि-V मिसाइल की लंबी दूरी तक मार करने की क्षमता और MIRV टेक्नोलॉजी, भारत को संभावित परमाणु हमले से खुद को बचाने में शक्तिशाली बनाता है। ये क्षमता, दुश्मन को भारत पर संभावित परमाणु हमला करने से रोकता है, क्योंकि एक तो इस मिसाइल से परमाणु बम को हवा में ही उड़ाया जा सकता है, इसके अलावा अब दुनिया इस को बात को जान गई है, की भारत का पलटवार और भी ज्यादा विनाशक हो सकता है।
परमाणु हथियारों को लेकर भारत की नीति बहुत साफ है, कि भारत आगे बढ़कर परमाणु हमला नहीं करेगा, लेकिन हालिया समय में भारत ने अपने न्यूक्लियर बेड़े को काफी आक्रामकता के साथ आगे बढ़ाया है, जाहिर तौर पर ऐसा चीन और पाकिस्तान की न्यूक्लियर क्षमता में होने वाले इजाफे को देखते हुए किया गया है।
और भारत के अग्नि-5 मिसाइल क्षमता से पाकिस्तान से ज्यादा चीन परेशान होगा, क्योंकि चीन अब भारत के खिलाफ किसी विनाशक हथियार के प्रदर्शन से परहेज करेगा और इससे क्षेत्रीय स्थिरता मजबूत होगी।
भारत के आगे का प्लान क्या है?
हालांकि अग्नि-V का सफल परीक्षण भारत की रणनीतिक रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, लेकिन भारत का मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम अभी लगातार आगे बढ़ता रहेगा। संभावित खतरों से निपटने के लिए भारत अब हाइपरसोनिक मिसाइलों और एडवांल डिफेंस पावर जैसे क्षेत्रों में काफी तेजी से रिसर्च कर रहा है और कई रिपोर्ट्स में कहा गया है, कि हाइपरसोनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी पर भारत काफी तेजी से काम कर रहा है।
भारत का अगला कदम अब MIRV तकनीक से लैस पनडुब्बी-प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल (एसएलबीएम) को आगे बढ़ाना है। भारत अपने सागरिका K4 मिसाइल कार्यक्रम में रेंज बढ़ाने और MIRV क्षमताओं को जोड़ने की तरफ भी तेजी से काम कर रहा है। और ये क्षमताएं, भारत को वैश्विक ताकत बनाती हैं और ना सिर्फ दुश्मन को किसी भी एडवेंचर करने से रोकती हैं, बल्कि अमेरिका जैसे देश, जो वक्त पलटने पर कभी भी पलटी मार सकते हैं, उन्हें भी संदेश देती हैं, कि वो भारत को लेकर डबल गेम नहीं कर सकते हैं।