संवाददाता: राहुल चौधरी, नमस्कार भारत

प्रधानमंत्री ने भारत के कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को दिए जाने को लेकर कांग्रेस पर जमकर भरसे है। नरेंद्र मोदी ने कहा है कि ‘कैसे कांग्रेस पार्टी ने देश की अखंडता और हितों को कमजोर किया है। इस कांग्रेस पार्टी पर कभी भरोसा नहीं कर सकते हैं।’

आपको बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने यह बयान सूचना के अधिकार (RTI) की रिपोर्ट पर दी है, जिसमें खुलासा किया गया है कि, कैसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 1974 में कच्चातिवु आइलैंड श्रीलंका को सौंप दिया था। कच्चातिवु द्वीप हिंद महासागर में भारत के दक्षिण छोर पर है।

PM मोदी बोले, ये  चौंका देने वाली बात है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (31 मार्च) की सुबह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्ट (ट्विटर) पर लिखा।  आंखें खोलने वाली और चौंका देने वाली!…कई नए तथ्यों से पता चलता है कि कैसे कांग्रेस ने बिना सोचे समझे बिल्कुल ही बेरहमी से कच्चातिवु को छोड़ दिया था। इस के कारण हर भारतीय नाराज है और लोगों के मन में यह बात बैठ गई है कि हम कांग्रेस पर कभी भरोसा नहीं कर सकते! भारत की एकता, अखंडता और हितों को कमजोर करना 75 वर्षों से कांग्रेस का काम करने का तरीका रहा है।

अमित शाह भी कांग्रेस पर भड़के?

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ”कांग्रेस के लिए । उन्होंने खुद हमारे द्वीप  कच्चातुवी को छोड़ दिया और उन्हें इसे छोड़ने का कोई पछतावा भी नहीं था। कभी कांग्रेस का कोई सांसद देश को बांटने की बात करता है, तो कभी भारतीय संस्कृति और परंपराओं को बदनाम करता है। इससे पता चलता है कि वे भारत की एकता और अखंडता के खिलाफ हैं। वे केवल हमारे देश को तोड़ना या बांटना  चाहते हैं।”

जानिए कच्चातिवु द्वीप के बारे में

कच्चातिवु हिंद महासागर में भारत के दक्षिण छोर पर है। कच्चातिवु आइलैंड भारत के रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच स्थित है । कच्चातिवु आइलैंड 285 एकड़ में फैला है। ये द्वीप 17वीं सदी में मदुरई के राजा रामानंद के अंदर आता था। लेकिन ब्रिटिश शासन में ये द्वीप मद्रास प्रेसीडेंसी के अधीन चला गया था।

कच्चातिवु में पहले भारत के तमिलनाडु के रामेश्वरम जैसे जिलों के मछुआरे जाते हैं…क्योंकि भारतीय जल में मछलियां खत्म होने की कगार पर थीं। लेकिन मछुआरे द्वीप पहुंचने के लिए कब अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (IMBL) पार कर लेते थे…उन्हें इसका पता नहीं चल पाता था और श्रीलंकाई नौसेना उन्हें पकड़ लेती थी।

साल 1921 में श्रीलंका और भारत दोनों ने कच्चातिवु में मछली पकड़ने के लिए इसपर दावा किया था। हालांकि ये विवाद उस वक्त ज्यादा नहीं बढ़ा लेकिन ये मुद्दा हमेशा सामने आते रहता था।

भारत की आजादी के बाद 1974-76 के बीच समंदर की सीमा को लेकर अहम चार समझौते किए गए थे।

इस समझौते के तहत कच्चातिवु द्वीप पर भारतीय मछुआरों को जाने और जाल सुखाने की इजाजत दी गई थी। कैसे श्रीलंका को इंदिरा गांधी ने दिया था कच्चातिवु द्वीप । RTI के मुताबिक 1974 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और श्रीलंका की राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके के बीच एक समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत कच्चातिवु द्वीप भारत ने श्रीलंका को सौंप दिया था।

इसके बाद 1974 के जून महीने में कोलंबो और दिल्ली में अलग-अलग दिन दोनों देशों की आपस में बातचीत हुई थी। जिसके बाद कुछ शर्तों के साथ ये कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को दिया गया था। इसमें एक शर्त ये थी कि भारत के मछुआरे जाल सुखाने और आराम करने के लिए कच्चातिवु द्वीप का इस्तेमाल कर सकते हैं।

शर्त ये भी थी कि कच्चातिवु द्वीप पर बने चर्च में भारतीयों को बिना विजा जाने की इजाजत होगी। लेकिन भारतीय मछुआरे इस द्वीप पर मछली नहीं पकड़ सकते हैं।

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