संवाददाता:आलोक शुक्ला, नमस्कार भारत
मैलोरंग यानी मैथिली लोक रंग, दिल्ली द्वारा विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर दो दिवसीय मिथिला रंग महोत्सव (27 एवं 28 मार्च, 2024) का आयोजन किया गया । प्रथम दिवस यानी 27 मार्च को आयोजन का शुभारम्भ एल.टी.जी. सभागार मण्डी हाउस, नई दिल्ली में सायं 6.30 बजे अतिथियों को पुष्पगुच्छ देकर किया गया । अतिथि के रूप में गाँधी स्मृति एवं साहित्य सदन के निदेशक डॉ. ज्वाला प्रसाद, श्री राकेश कुमार मिश्रा (आई.पी.एस.), श्री ऋषि कुमार शर्मा (उपसचिव, हिंदी अकादमी), वरिष्ठ वस्त्र सज्जाकार श्रीमती अनिला सिंह (रानावि स्नातक) एवं राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व निदेशक प्रो. देवेंद्र राज अंकुर उपस्थित थे । आयोजन की शुरुआत महाकवि भास रचित नाटक अभिषेकनाटकम् के मंचन से हुआ । इस नाट्य प्रस्तुति की परिकल्पना एवं निर्देशन रमण कुमार ने किया है । रमण कुमार भारतेंदु नाट्य अकादमी से प्रशिक्षित रंगकर्मी हैं तथा वर्तमान में आप मैलोरंग रेपर्टरी के प्रमुख के रूप में कार्यरत हैं । मैलोरंग और धनार्या आर्ट्स ने संयुक्त रूप से नाट्य प्रस्तुति अभिषेकनाटम् का मंचन किया । नाटक रामचंद्र जी द्वारा सीता हरण के पश्चात, रावण वध कर जब अयोध्या में वापस लौट कर आते हैं तो उनका राज्याभिषेक किया जाता है । इसी मूल कथ्य को लेकर इसे महाकवि भास द्वारा रचा गया है । सभी रंगकर्मियों ने अपने पात्र के साथ न्याय किया है । नाट्य प्रस्तुति की प्रकाश व्यवस्था अत्यंत दृश्यानुकूल था तथा भेषभूषा भी पात्रानुकूल ।
दूसरी नाट्य प्रस्तुति राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सम्मुख सभागार, नई दिल्ली में प्रयागराज की संस्था समानांतर संस्था द्वारा राही मासूम रज़ा के उपन्यास पर आधारित टोपी शुक्ला नाम से किया गया । इस उपन्यास का नाट्यरूप अख्तर अली ने तैयार किया है तथा नाटक के लिए संगीत परिकल्पना रवि नागर द्वारा किया गया है । सम्पूर्ण नाट्य प्रस्तुति की परिकल्पना एवं निर्देशन सुप्रसिद्ध रंगकर्मी अनिल रंजन भौमिक ने किया है । दिनांक 28 मार्च, 2024 को पुन: इस नाटक का मंचन सम्मुख सभागार में किया गया । नाटक ‘टोपी शुक्ला’ ऐसे हिंदुस्तानी नागरिक का अप्रतीक है जो राष्ट्रवादी सिद्धांत और भारत विभाजन के बावजूद आज भी अपने को विशुद्ध भारतीय समझता है । मैलोरंग द्वारा इस दो दिवसीय आयोजन में तीनों नाट्य प्रस्तुति में अपार दर्शक उमड़ी । मैलोरंग द्वारा दो दिवसीय मिथिला रंग महोत्सव के लिए संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार; राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, एन.सी.जेड.सी.सी; धनार्या आर्ट, सम्भव तथा समानानंतर संस्था ने सहयोग दिया दिया था ।