संवाददाता: राहुल चौधरी, नमस्कार भारत
श्रीराम कॉलेज के सभागार में ललित कलॉ विभाग द्वारा ’’वर्तमान परिप्रेक्ष्य में ललित कला का भारतीय संस्कृति में योगदान’’ विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में महानिदेशक, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, डा संजीव किशोर गौतम राजपूत तथा विशिष्ट अतिथियों में सेवानिवृत्त हैड, डीएवी कॉलेज, मुजफ्फरनगर डा0 महावीर सिंह, हैड ड्राईंग एंड पेंटिंग, केके जैन, खतौली प्रोफेसर डा0 नीतु वशिष्ठ, विभागाध्यक्ष ड्राइंग एंड पेटिंग जेकेपी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मुजफ्फरनगर प्रोफेसर डा वंदना वर्मा, सचिव एनएसएजी एसआर मूर्तिकला कलाकार ललित कला अकादमी दिल्ली, डा0 सुरेश कुमार, श्रीराम ग्रुप आफ कालिजेज के चेयरमैन डा0 एससी कुलश्रेष्ठ, श्रीराम ग्रुप ऑफ कॉलेजज के सचिव डॉ0 संकल्प कुलश्रेष्ठ, श्रीराम कॉलेज की अध्यक्षा डा0 पूनम शर्मा, श्रीराम कॉलेज की प्राचार्या डा प्रेरणा मित्तल, श्रीराम ग्रुप आफ कालिजेज के निदेशक डा0 एसएन चौहान, निदेशक श्रीराम कॉलेज आफ लॉ डा पूनम शर्मा, निदेशक ललित कला विभाग डा0 मनोज धीमान, निदेशक रिर्सच एसआरजीसी, मुजफ्फरनगर डा रविन्द्र प्रताप सिंह, डीन एकेडमिक्स डा0 विनित कंुमार शर्मा, श्रीराम कॉलेज आफ इंजीनियरिंग डीन डा0 सुचित्रा त्यागी आदि द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया।
कार्यक्रम की शुरूआत बीएएलएलबी की छात्रा मान्या शर्मा तथा निदेशक रिर्सच एसआरजीसी, मुजफ्फरनगर डॉ0 रविन्द्र प्रताप सिंह द्वारा अतिथियों का स्वागत करते हुए सेमिनार के आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुये की गई। तत्पश्चात विभागाध्यक्षा डॉ0 मीनाक्षी काकरान ने संस्थापक ललित कला विभाग, कुरूक्षेत्र के प्रवक्ता डॉ0 राम विरंजन का जीवन परिचय देते हुए उनके द्वारा किए गए कार्यों एवं उनको प्राप्त पुरस्कारों पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर कार्यक्रम की मुख्य अतिथि महानिदेशक, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, डा संजीव किशोर गौतम राजपूत ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुये कहा कि एक कलाकार की कला सदैव समाज के लिये होती है क्योंकि मनुष्य सामाजिक प्राणी है तो समाज की समस्याओं को चित्रित करके उनके बारे में बात की जाती है। इसके पश्चात उन्होने छापा चित्रण को विस्तृत रूप से समझाया और बिहार की कोहबर परम्परा को भी समझाया। उन्होंनंे कहा कि यदि मनुष्य के जीवन से कला को हटा दिया जाये तो वह जानवर के समान होगा। हमारे जीवन में कला का वैसे ही संबंध है जैसे गंेहू और गुलाब का होता है। तत्पश्चात विद्यार्थियों ने मुख्य अतिथि के समक्ष अपने प्रश्न भी प्रस्तुत किए जिनका डॉ0 संजीव किशोर गौतम राजपूत ने विस्तारपूर्वक उत्तर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि अयोघ्या के राम मंदिर निर्माण में उनका विशेष योगदान रहा।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ0 राम विरंजन, संस्थापक ललित कला विभाग, कुरूक्षेत्र ने अपना वक्तव्य दिया। जिसमें उन्होंनंे कहा कि फाईन आर्टस एवं संस्कृति एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। हमारी परम्परायें, रीति-रिवाज, अनुष्ठान, वेश-भूषा आदि संस्कृति का ताना-बाना बुनते हैं। इतिहास के बारे में भी हमें अधिकतर सबूत चित्रकला एवं शिकार करने वाले औजारों से मिलते हैं। एलोरा गुफा के बारे में बात करते हुए उन्होंनंे कहा कि पूरे विश्व में केवल भारत में ही उपर से नीचे की ओर किसी आर्कटेक्चर का निर्माण हुआ है। उन्होने भारतीय कला की महत्ता बताते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने में कलाओं का बहुत योगदान है। विभिन्न प्रकार की कलायें हमारें ऐतिहासिक दस्तावेज को संरक्षित करती हैं। आधुनिक कला के बारे में बोलते हुए उन्होने कहा कि क्षेत्रीय पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण है तथा सामाजिक उत्तरदायित्व को स्थापित करती है।
इस अवसर पर सचिव एनएसएजी एसआर मूर्तिकला कलाकार ललित कला अकादमी दिल्ली, डा0 सुरेश कुमार ने 2डी तथा 3 डी कला पर प्रकाश डाला तथा कहा कि कला हमारे भावों की अभिव्यक्ति है। उन्होनंे विभिन्न मंदिरों में हुए 2डी तथा 3डी कार्यों के बारे में विस्तृत रूप से समझाया।
इस अवसर पर विभागाध्यक्ष ड्राइंग एंड पेटिंग जेकेपी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मुजफ्फरनगर प्रोफेसर डा वंदना वर्मा, आधुनिक कला पर लोक कला का प्रभाव विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि लोक कला कभी पुरानी नहीं होती तथा इसे सीखने के लिए किसी स्कूल-कॉलेज की आवश्यकता नहीं है।
इस अवसर ललित कला विभाग के निदेशक डॉ0 मनोज धीमान एवं मीनाक्षी काकरान के द्वारा मुख्य अतिथि डॉ0 संजीव किशोर गौतम राजपूत, महानिदेशक, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, का धन्यवाद व्यक्त करते हुए श्रीराम कॉलेज का प्रतीक चिन्ह भेंट किया।
इस अवसर पर जानकारी देते हुये ललित कला विभाग के निदेशक डॉ0 मनोज धीमान ने बताया कि इस सेमिनार में 300 विद्यार्थियों ने अपना पंजीकरण कराने के साथ-साथ अपनी प्रस्तुति के रूप में अनेक विषयों पर विचार व्यक्त किए। इसके उपरान्त चयनित विद्यार्थियों की प्रस्तुति के लिए मुख्य अतिथि द्वारा पुरस्कार भी वितरित किए गए। इसी प्रकार सेमिनार में आमंत्रित अनेकों कलाकारों ने अपने विचार प्रस्तुत कर इस सेमिनार की शोभा बढाई।
अन्त में निदेशक रिर्सच एसआरजीसी, मुजफ्फरनगर डॉ0 रविन्द्र प्रताप सिंह डॉ0 रविन्द्र प्रताप सिंह ने धन्यवाद पत्र पढकर सभी का धन्यवाद किया।
इस कार्यक्रम का मंच संचालन श्रीराम कॉलेज ऑफ लॉ की फेकल्टी डॉ0 हिना गुप्ता एवं आंचल अग्रवाल के द्वारा किया गया।
सेमिनार को सफल बनाने में ललित कला विभाग के निदेशक डॉ0 मनोज धीमान, विभागाध्यक्षा, मीनाक्षी काकरान एवं प्रवक्ताओं में रजनीकान्त, बिन्नू पुंडीर, अनु, रीना त्यागी, मयंक सैनी, अजीत कुमार, शर्मिष्ठा, सोनी श्रीवास्तव, शिव शंकर साहू एवं करूणाकर शर्मा आदि उपस्थित रहे।