Shraddha Case

आनिया शर्मा, संवाददाता, नमस्कार भारत..

Shraddha Case: श्रद्धा वालकर हत्याकांड में आरोपी आफताब पूनावाला की पांच दिन की पुलिस रिमांड आज 22 नवंबर खत्म होने जा रही है. दिल्ली पुलिस मामले की जांच के लिए उसकी हिरासत की अवधि बढ़ाने की मांग कर सकती है. कोर्ट ने 17 नवंबर को पांच दिनों के अंदर आफताब का नार्को टेस्ट कराए जाने का आदेश दिया था .

दिल्ली पुलिस ने एक दिन पहले ही 21 नवंबर को कोर्ट में एक प्रार्थना पत्र देते हुए आफताब का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की मांग की. कोर्ट से आरोपी आफताब का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की इजाजत मिल चुकी है. वहीं, आफताब का नार्को टेस्ट भी होगा. पुलिस इन दोनों टेस्ट के जरिए आरोपी आफताब से सच उगलवाने की कोशिश करेगी. इनमें से एक में फिजिकली, तो दूसरे में आरोपी आफताब को नशे यानी आधा बेहोश करके पूछताछ की जाएगी.

आफताब का पॉलीग्राफ टेस्ट यानी लाई डिटेक्टर मशीन से सामना आज इसलिए भी होने के चांस ज्यादा बताए जा रहे हैं, क्योंकि मंगलवार को ही आफताब की रिमांड की मियाद पूरी हो रही है. आफताब को दिल्ली पुलिस कोर्ट में पेश करेगी और उसकी रिमांड बढ़ाने की मांग कर सकती है. दोनों ही टेस्ट में सामान्य तौर पर क्या अंतर है?

Shraddha Case: क्या है पॉलीग्राफ टेस्ट..

दरअसल, पॉलीग्राफ टेस्ट को लाई डिटेक्टर टेस्ट भी कहते हैं. जिसका मकसद ये पता लगाना होता है कि कोई इंसान झूठ बोल रहा है या सच. इसके लिए एक मशीन की मदद ली जाती है, जो पूछताछ के दौरान शरीर में आने वाले बदलाव जैसे हार्ट रेट या ब्‍लड प्रेशर घटना-बढ़ना, पसीना आना, सांस लेने के तरीके में बदलाव को नोट करती है. उसी रिपोर्ट के आधार पर यह तय होता है कि इंसान चीजें छ‍िपा रहा है या सब कुछ सामान्‍य चल रहा है. क्योंकि जब कोई झूठ बोलता है तो उसके शरीर में एक डर और घबराहट पैदा होती है. शरीर में अलग तरह से रिएक्ट करता है. अब पॉलीग्राफ यानी लाई डिटेक्टर टेस्ट के जरिए ही आफताब का पूरा सच सामने लाया जाएगा.

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नार्को एनालिलिस टेस्ट..

नार्को एनालिलिस टेस्ट में इंजेक्शन देकर इंसान को आधी बेहोशी की हालत में पहुंचाया जाता है और ऐसी हालत में उससे जो पूछा जाता है, वो उसका सही जवाब देता है. यानी झूठ बोलने के लिए उसका दिमाग एक्टिव नहीं रह पाता. इस हालात में अगर शख्स से सवाल पूछने वाला सही तरीके से सवाल पूछे तो वो सही जवाब भी दे सकता है. इस टेस्ट के दौरान साइकोलॉजिस्ट के साथ जांच अधिकारी या फोरेंसिक एक्सपर्ट भी बैठते हैं.

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