संवाददाता: राहुल चौधरी, नमस्कार भारत
रविवार की शाम नई दिल्ली के अक्षरा थियेटर में ड्रामाटर्जी रंग समूह द्वारा प्रस्तुत और प्रियम जानी द्वारा लिखित नाटक “दिग्दर्शक” का सफल मंचन किया गया।
नाटक एक बुजुर्ग रंग गुरू और उसके शिष्य के बीच के द्वंद पर आधारित था जहां शिष्य, बिना कारण बताए अचानक एक दिन गुरु को छोड़कर फ़िल्मों में काम करने चला जाता है, इससे गुरू बुरी तरह टूट जाता है कि शिष्य ने मंज़िल तक पहुंचने के लिए उसे सीढ़ी की तरह इस्तेमाल किया हालांकि इसका मूल कारण रंग गुरू का अपना ही बेटा होता है लेकिन बेटा ऐसा क्यूं करता है इसका कारण नाटक के अंत में पता चलता है।

नाटक में बुजुर्ग रंग गुरू की भूमिका में आलोक शुक्ला और शिष्य की भूमिका में क्षितिज मिश्रा ने न्याय किया, कई स्थानों में दोनों की केमेस्ट्री बहुत अच्छी बन पड़ी तो वहीं नाटक का मार्मिक क्लाइमेक्स सबकी आंखों को भिगो गया जबकि नाटक में थिएटर ट्रेनिंग के इंप्रोवाइज दृश्य दर्शकों को गुदगुदा गए। नाटक में बेटे की छोटी सी भूमिका में आसिफ ने भी अपनी भूमिका के साथ न्याय किया
नाटक का मंच कथानक के अनुरूप साधारण था, संगीत कथानक के अनुरूप ठीक था जिसे अभ्युदय मिश्रा ने दिया था। प्रकाश सज्जा में राहुल कुमार नाटक के छोटे छोटे फ्लैश बैक सीन्स को संतुलित करने में काफ़ी हद तक कामयाब रहे। नाटक का निर्देशन नाटक में मुख्य भूमिका निभा रहे आलोक शुक्ला ने सुनील चौहान के साथ किया।

बता दें कि नाटक के अभिनेता और निर्देशक आलोक शुक्ला पिछ्ले कई सालों से GBS पैरालिसिस से पीड़ित होने के बाद बाद इसी साल 22 जनवरी 2024 को साहित्य कला परिषद नई दिल्ली के भरत मुनि नाट्य समारोह में अपने लिखित निर्देशित और अभिनिति नाटक “उसके साथ” से रंगमंच में वापिसी के बाद लगातार सक्रीय हैं। उनकी अपनी संस्था के नाटक “उसके साथ” के साथ अब ड्रामाटर्जी के “दिग्दर्शक” और नया थियेटर से हबीब तनवीर के मशहूर नाटक”आगरा बाज़ार” के जरिए जहां वे एक ओर लगातार मंचन कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर अभी हाल उनके लिखे पांच लघु नाटकों का नाट्य संग्रह “पंचरंग” लोकार्पित हुआ था जबकि इसके पूर्व उनका रंग संस्मरण “एक रंगकर्मी की यात्रा” और छोटे बड़े सात नाटकों का नाट्य संग्रह “ख्वाबों के सात रंग” प्रकाशित हो चुके हैं।