संवाददाता: राहुल चौधरी, नमस्कार भारत
बिहार का चुनाव सुर्खियों में बना हुआ है। बिहार के सीमांचल इलाके की बात करे तो , वहां के इलाके में मुस्लिम बहुल माना जाता है। लेकिन, अगर बिहार की 40 लोकसभा सीटों की बात करें तो मुस्लिम समाज के वोट करीब आधी यानी 17 सीटों पर भूमिका में नजर आते हैं।
मुस्लिम सीट की बात करे तो, बिहार की सिर्फ एक सीट है, जहां मुस्लिम बहुल है-किशनगंज; यानी वहां मुसलमान वोटर बहुसंख्यक हैं। लेकिन, ऐसी सीटें भी तीन हैं, जहां इनकी आबादी एक-तिहाई से भी ज्यादा है। मुस्लिम वोटरों के मतदान के पैटर्न देखने से पता चलता है कि वह मोटे तौर पर एकतरफा वोटिंग के लिए जाने जाते हैं। इसलिए, माना जाता है कि मुस्लिम समाज जिस तरफ का भी रुख करते हैं, उनका पलड़ा भारी हो जाता है।
किशनगंज में मुस्लिम वोटर करीब 68%
बिहार की एक-चौथाई या 10 लोकसभा सीटों पर मुसलमानों की जनसंख्या 18% से अधिक है। करीब 68% मुस्लिम वोटर किशनगंज में हैं। 1967 के अलावा यहां कोई ऐसा चुनाव नहीं हुआ, जब कोई गैर-मुस्लिम यहां से सांसद बना हो। यहां की सभी 6 विधानसभा में विधायक भी मुसलमान हैं।
अररिया, कटिहार,पूर्णिया में भी मुस्लिम मतदाताओं का दबदबा
दूसरा सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर वाला क्षेत्र यानी करीब 43% कटिहार है। यहां से 6 बार मुस्लिम ही सांसद चुने गए हैं और कांग्रेस के मौजूदा उम्मीदवार तारिक अनवर यहां का 5 बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
अररिया सीट पर भी करीब 42% मुस्लिम मतदाता हैं। लेकिन, यहां सिर्फ 2014 में आरजेडी के मुस्लिम प्रत्याशी तसलीमुद्दीन को जीत मिली थी। इसी तरह पूर्णिया में भी एक-तिहाई से ज्यादा वोटर मुसलमान हैं। यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 38% है। हालांकि, इस बार कोई प्रमुख मुस्लिम चेहरा यहां मैदान में नहीं है।
मिथिलांचल में भी मुस्लिम वोटर महत्वपूर्ण
मिथिलांचल की मधुबनी सीट पर भी लगभग 26% मुसलमान वोटर हैं और अबतक 4 बार मुस्लिम प्रत्याशी को यहां से जीत मिल चुकी है। इस बार आरजेडी ने दरभंगा के अपने पूर्व सांसद अली अशरफ फातमी को टिकट दिया है। यहां से भाजपा ने मौजूदा सांसद अशोक यादव को प्रत्याशी बनाया है। मधुबनी में केवटी, बिस्फी, मधुबनी और हरलाखी मुस्लिम बहुल विधानसभा क्षेत्र हैं।
मिथिलांचल के ही दरभंगा में भी लगभग 23% मुसलमान वोटर हैं। इस सीट से 6 बार मुस्लिम उम्मीदवार की जीत हो चुकी है। भाजपा ने मौजूदा सांसद गोपालजी ठाकुर को ही उतारा है तो राजद ने ललित यादव पर दांव लगाया है।
मिथिलांचल के ही सीतामढ़ी सीट पर मुसलमानों की जनसंख्या लगभग 21% है। लेकिन, इस सीट से अबतक मुसलमान उम्मीदवार को जीत का स्वाद नहीं मिल सका है। मंडल की राजनीति के बाद यह सीट लालू यादव की पार्टी का गढ़ बन गई थी। लेकिन, अब यहां पर एनडीए का सिक्का चलने लगा है।
यहां से जेडीयू ने इस बार देवेश चंद्र ठाकुर को उतारा है तो राजद ने पूर्व सांसद अर्जुन राय पर दांव लगाया है।
चंपारण में भी मुस्लिम वोट की है अहमियत
2008 में परिसीमन के बात बेतिया सीट पश्चिमी चंपारण हो गई और यहां भी 20% से अधिक मुसलमान हैं। बेतिया से 2 बार मुस्लिम उम्मीदवार को जीत मिल चुकी है। लेकिन, अब यह भाजपा का गढ़ बन चुका है। पूर्वी चंपारण भी परिसीमन से पहले मोतिहारी था, जहां करीब 21% मुलमान हैं। हालांकि, यहां से भी अबतक किसी मुस्लिम उम्मीदवार की किस्मत नहीं चमकी है। भाजपा ने मौजूदा सांसद राधामोहन सिंह और इंडिया ब्लॉक ने राजेश कुशवाहा को उतारा है।
सीवान सीट पर मुस्लिमों का रहा है दबदबा
लेकिन, सीवान लोकसभा सीट पर सिर्फ 18% मुस्लिम आबादी होते हुए भी 9 बार मुसलमान प्रत्याशी को चुने जाने का मौका मिला है। 4 बार तो कुख्यात अपराधी शहाबुद्दीन को राजद से चुनाव जीतने का मौका मिला था। इस बार यहां से जेडीयू ने रमेश कुशवाहा और राजद ने अवध बिहार चौधरी को टिकट दिया है।
इन सात सीटों पर भी किंगमेकर की भूमिका में मुसलमान
ऊपर की 10 सीटों के अलावा भी बिहार की 7 लोकसभा सीटों पर मुसलमानों की आबादी 13 से 17% के बीच है। मसलन, गोपालगंज (17%), सुपौल (17%), शिवहर (16%), मुजफ्फरपुर (15%),खगड़िया (15%), बेगूसराय (14