संवाददाता: कुमार विवेक, नमस्कार भारत

रूस ने उन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया है  कि भारत को एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की आखिरी  डिलीवरी में देरी होने की आशंका है। एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम हथियार के निर्यातक रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के प्रमुख ने उन दावों का खंडन किया है, कि भारत को एस -400 वायु रक्षा उपकरणों की डिलीवरी में कुछ बाधा हैं। रूस की तरफ से ये बयान उस वक्त आया है, जब चीन से तनाव के बीच भारत अपनी सीमा की सुरक्षा को और मजबूत करना चाहता है।

नियमित समय पर होगी s-400 की डिलीवरी

S-400: बिल्कुल समय पर पहुंच रही भारत में  एस-400, रूस ने डिलीवरी में देरी की रिपोर्ट्स को सिरे से नकार दिया।रूस ने उन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया है, कि भारत को एस-400 डिफेंस सिस्टम की आखिरी  डिलीवरी में देरी होने की आशंका है।

एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम हथियार के निर्यातक रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के प्रमुख ने उन दावों का खंडन किया है, कि भारत को एस -400 वायु रक्षा उपकरणों की डिलीवरी में कुछ बाधा हैं। रूस की तरफ से ये बयान उस वक्त आया है, जब चीन से तनाव के बीच भारत अपनी सीमा की सुरक्षा को और मजबूत कर रहा  है।

तय समय पर एस-400 की डिलीवरी

सीईओ अलेक्जेंडर मिखीव के ने  कहा है, कि रोसोबोरोनेक्सपोर्ट आधिकारिक तौर पर भारत को एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की आपूर्ति में कथित व्यवधान के बारे में जानकारी से इनकार करता है और डील को पार्टियों द्वारा सहमत शर्तों के भीतर निष्पादित किया जा रहा है।

सीईओ ने पश्चिमी मीडिया में पिछली रिपोर्टों का हवाला दिया, जिसमें दावा किया गया है, कि यूक्रेन में चल रहे युद्ध और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों ने मॉस्को को भारत को एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की डिलीवरी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने से रोक दिया है।

उन्होंने कहा, कि यूक्रेनी मीडिया ने भारत के बाकी बचे दो एस-400 डिवीजनों और रूसी निर्मित लड़ाकू विमानों के स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति में “बाधा” के बारे में भी लिखा है।

रूसी समचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती ने जब अलेक्जेंडर मिखीव से पूछा, कि क्या भारतीय पक्ष को एस-400 की डिलीवरी बाधित होने की खबरें सही हैं, तो मिखीव ने जवाब दिया, “अनुबंध पार्टियों के समझौते द्वारा स्थापित शर्तों के भीतर निष्पादित किया गया है।”

जबकि रूसी अधिकारी ने विशेष रूप से किसी विशेष रिपोर्ट का उल्लेख नहीं किया, लेकिन भारत की एक संसदीय समिति को पिछले साल इंडियन एयरफोर्स के प्रतिनिधि ने बताया था, कि यूक्रेन में संघर्ष की वजह से मास्को से “बड़ी डिलीवरी” नहीं होने वाली है।

हालांकि, रूसी डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी में देरी होने को लेकर तमाम मीडिया रिपोर्ट्स के बीच पिछले साल भारतीय संसद की एक रिपोर्ट में जानकारी दी गई थी, कि रूसी हथियार की डिलीवरी में देरी हो सकती है।

एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम डील क्या है?

आपको बता दें, कि भारत और रूस ने एस-400 मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम के लिए साल 2018 में समझौता किया था, और ये सौदा 5.4 अरब अमेरिकी डॉलर का था। एस-400 मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम को अभी तक दुनिया में बनाया गया सबसे बेहतर और खतरनाक  सिस्टम माना जाता है, जो हर तरह के हथियार को आसमान  में ही मारने की क्षमता रखता है।

भारतीय संसद की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के कुछ महीने बाद, रूसी अधिकारियों ने चुप्पी तोड़ी और आश्वासन दिया, कि रूस तय समय सीमा के भीतर भारत को एस-400 एंटी-मिसाइल देगा।

सैन्य-तकनीकी सहयोग के लिए रूस की संघीय सेवा के प्रमुख दिमित्री शुगाएव ने कहा था, कि “एस-400 ट्रायम्फ एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम का उत्पादन तय कार्यक्रम के अनुसार किया जा रहा है।”

भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी द्वारा किए गए पिछले दावों के अनुसार, तीन एस-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम को अक्टूबर 2023 तक भारत भेज दिया गया था। इसके अतिरिक्त, अंतिम दो मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी पिछले साल तक हो जानी चाहिए थी।

कथित तौर पर भारतीय सेना ने खतरे का अच्छा से आकलन किया है, चीन और पाकिस्तान के साथ सीमाओं पर रणनीतिक रूप से तीन एस -400 मिसाइल सिस्टम यूनिट्स को तैनात कर दिया है और भारत बाकी 2 यूनिट्स का इंतजार कर रहा है।

भारतीय अधिकारियों और दिग्गजों ने नोट किया है कि एक साथ कई लक्ष्यों को बेअसर करने की क्षमता के साथ, S-400 एयर डिफेंस सिस्टम, भारत की दोनों सीमाओं पर लगातार खतरे के मद्देनजर भारत की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। चीन और तुर्की के बाद भारत इन प्रणालियों का तीसरा विदेशी खरीदार बन गया है।

चीन भी इस्तेमाल करता है S- 400 मिसाइल

इसके अलावा, पिछले साल  SIPRI की एक रिपोर्ट से संकेत मिलता है, कि डिफेंस सामान बेचने में रूस अभी भी भारत के लिए शीर्ष स्थान पर बना हुआ है। भले ही उसका आयात 62 प्रतिशत से गिरकर 45 प्रतिशत हो गया है।

हालांकि, रूसी आयात घटने के पीछे भारत का ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम और हथियारों के लिए किसी एक देश पर निर्भरता को खत्म करना है। भारत ने हालिया समय में अलग अलग हथियारों के लिए अमेरिका, फ्रांस और इजराइल के साथ समझौते किया हैं।

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